Sagar News: रोज घंटों पुल पर खड़े होकर एक टक नदी की ओर देखता रहता है यह नंदी, लोगों ने बताई यह वजह

विस्तार Follow Us कहते हैं कि जानवरों में भी भावनाएं होती हैं। इन जानवरों में गाय को सबसे ज्यादा समझदार और भावनात्मक जानवर माना जाता है। इसलिए सनातन धर्म में गाय को गाय को माता का दर्जा दिया गया है। ऐसे ही एक नंदी महाराज हैं जो सुबह से सूरज डूबने तक भापसोन के पुल पर खड़े रहकर प्राण दायनी मैया बीना नदी को निहारते रहते हैं। सूरज डूबते ही गांव की ओर वापस चल पड़ते हैं। लोगों का कहना है कि यह नंदी नदी को ही अपनी मां मान चुका है।   दरअसल, मंगलवार को सुबह से शाम तक जब हमने यह नजारा देखा कि कोई सांड एक ही मुद्रा में कैसे रुक सकता है, तब आश्चर्य हुआ। 500 मीटर के पुल पर से होते हुए दूसरे किनारे बैठे ग्रामीणों से इसे लेकर बात की तो उन्होंने कए कहानी बताई। युवाओं ने बताया कि यह आज की बात नहीं है। जिब से वह बछड़ा था, तभी से वह यहां आता है।   इसके पीछे एक किस्सा भी है। लोगों ने बताया कि बहुत पहले यहां कुछ मवेशी बारिश में बह गए थे। इसमें एक छोटे बछड़े की मां भी थी। तब से बारिश के मौसम वह हर रोज अपनी मां की तलाश में यहां आता है। पूरे दिन यहां खड़े रहने के बाद रात होते को मायूस होकर वापस लौट जाता है।  ग्रामीणों ने बताया कि हर साल बारिश के मौसम में नदीं यहां आकर खड़ा हो जाता है। आसपास के लोग नंदी के इस भावनात्मक गंभीरता और अलग व्यवहार देखकर आश्चर्य में पड़ जाते हैं। उनका कहना है कि संवेदनाएं, यह चमत्कार और प्रकृति से जुड़ाव पशु भी पहचानते हैं।  

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